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अनुपमा में आज हम जानेंगे कि, अनुपमा को उसकी होटल की ओनर ने बाहर निकाल दिया। अनुपमा बहुत रिक्वेस्ट की फिर भी नहीं माना तो उसने होटल छोड़कर बाहर आ गई ।अनुपम बाहर आकर बहुत कोशिश किया कहीं पर भी उसकी कोई जगह नहीं मिली। उल्टी बहुत परेशान हुए। और बहुत गुंडे लोगों ने उसकी आसपास रहे थे ।तो उसने बहुत अपने आप को सेफ्टी करने की बहुत कोशिश कर रही थी। फिर अपने आप को बहुत अकेले महसूस कर रही थी।
आध्या बेहोश हो गई थी ।उसकी होश आया तो उसने बहुत बड़े चिल्लाई ,कहा कि पापा चलो हम यहां से कहीं और चले जाते हैं। अर्जेंटीना या कनाडा या कहीं और तो उसने ऐसी बोला तो अनुज ने कहा कि चलो ठीक है। तुम ऐसे मत करो थोड़ा शांत हो जाओ हम कुछ ना कुछ इस बारे में सोचेंगे। तभी श्रुति ने जुस लेकर आया बोला कि यह जोशी बहन का बहुत स्पेशल जूस है, यह पी लो। तो आध्या ने बहुत इरिटेट होकर उसे जूस को फेंक दिया ।बोला कि आप जैसी बहन जैसी बहन क्यों करते हो, आगे से आप उसी की नाम नहीं लेंगे, कि उसी को नहीं बुलाएंगे और बहुत गुस्सा होकर वहां से चली गई। तो श्रुति ने बस अपने आप को छोटा महसूस किया। बोला कि मैं मां होने की बहुत कोशिश कर रही हूं लेकिन मैं हो नहीं पा रही हूं इसमें क्या करूं। अनुज ने बोला कि कोई बात नहीं तुम श्रुति हो श्रुति बन के रहो। मां बोलने की कोई जरूरत नहीं मुझे पता है वह थोड़ी देर में ठीक हो जाएगी। ऐसा 5 साल में कभी नहीं हुआ था, घबराहट हो रहा है ।
फिर अनुज ने अनुपमा बाहर घूम रही थी उसे महसूस हुआ। अनुज ने आकर अनुपमा को बोल रहा है कि सॉरी बोल रहा है उसने कहा है कि तुम हमें क्यों छोड़ कर चली गई। मेरा इस वक्त का कहना यह नहीं था कि तुम हमें छोड़ कर चली जाओ, हमारा कहना था कि तुम प्लीज हमें तुम्हारा वक्त दो, और अनुज ने अनुपम को बहुत समझ कर उसके पास रहने की बहुत कोशिश कर रही थी। लेकिन समझ में आया अनुपमा को यह सपना था। फिर थोड़ी देर बाद अनुपमा ने घूम घूम कर फिर उसकी रेस्टोरेंट में पहुंच गई। वहां पर विक्रम जी बाहर आए अनुपमा तुम प्लीज चिंता मत करो यहां रुको ,मैं बस के साथ बात करके कुछ ना कुछ कर रही हूं। तो फिर अनुपमा बोला विक्रम भाई प्लीज आप अपनी तरफ से पूरी कोशिश करना। तो विक्रम जी हां बोल कहे कि यहां से कहीं मत जाना। मुझे और कहां पता यहां की जगह मैं यही रहूंगी । विक्रम चले गए अंदर ,वस के साथ बात करने की कोशिश कर रहे। तो उनके बस ने उसे बहुत डांटा ।बोला कि काम पर काम दो ।अरे यहां वहां नहीं तो उसने भी कुछ कह नहीं।
अनुपमा को बहुत बुरे लोग घर रहे थे । अनुपमा बाहर भगवान को प्यार कर रही थी कि भगवान प्लीज विक्रम भाई की बात बस ने मन लीजिए । अनुपमा नेयह बोलकर होटल के अंदर झांक रही थी, तब बस की बा ने आ गई। अगर अनुपमा को पूछा क्या हुआ बेटा अनुपमा चौंक गई ।बोला की मैंम आप। यहां तो उसने कहा हां मैं आई हूं ।तुम ऐसी घबरा ही हुई क्यों हो ।फिर अनुपमा ने सब कुछ बताया। फिर ओनर की मां ने तुम ऐसे कैसे इंसानियत भूल जाती हो ।एक आशहाए नारी को कैसे घर से बेघर कर सकती हो। उसकी सर पर छत कैसे छीन सकती हो। एक आदमी को रास्ते पर रहना मुश्किल नहीं है। लेकिन एक औरत को रास्ते पर रहना कितना मुसीबत का सामना करना पड़ता है तुम्हें पता है। हां मुझे मालूम है कि तुम बहुत कष्ट किया ऐसी यहां पर जाकर अपना जिंदगी बनाने कि, अपना जिंदगी बनाई ।बहुत कुछ किया इसके बाद तुम अपना दिल को भी बड़ा करो। और उसके डांट सुनने के बाद उसके उन्होंने कहा कि ओके अनुपम यहां काम करेगी। तो अनुपमा बहुत खुश होकर उनकी मां को थैंक यू मैं बोला। और उसे काम देने के लिए उसके साथ उनके ऑनर को बहुत रो-रो के धन्यवाद बोला। फिर उनकी मां ने बोले कि कोई बात नहीं बेटा तुम मुझे बिजी बोल मैं तुम्हारा बिजी हूं। अनुपमा को सहारा मिला।
आगे अनुपमा की जिंदगी में क्या अनुज अनुपम एक साथ रह पाएंगे यह जानने के लीए मेरे ब्लॉक पर पढ़ते रहिए।