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आज के एपिसोड में हम देखेंगे डिम्पी किचन में काम कर रही थी। तब काव्या ने आकर बोला तुम जाओ मैं बाकी काम कर दूंगी ।तो डिम्पी ने बोला कि कोई बात नहीं मैं कर लुंगी, तो तभी काव्या बोला कि चलो ठीक है हम दोनों मिलकर कर लेंगे। काव्या और डिम्पी डोनों की बात हुई काव्या ना बोला तुम कितने अकेले हो। प्लीज तुम तुम्हारी जिंदगी के लिए सोचो तो। डिंपी ने बोला तुम्हारा भी तो वही हालात है। हम डोनों हमारी बच्चों के लिए यहां रहे हैं ।तब काव्या बोला कि काश हमारी जिंदगी पहले जैसा हो जाए ।पहले तो लड़ाई झगड़ा होता था, लेकिन यह घर-घर लगता था ।जब अनुपम रहती थी । भगवान करे ऐसा हो जाए ।
तो डिम्पी ने बोला हन ठीक है। डिम्पी ने बोला काव्या को तुम्हें माही की बहुत याद आती है होगी । बहुत याद आती है जब मैं उसे छोड़ कर आ रही थी वाह कभी मुझे छोड़ने की राजी ही नहीं थी ।और टीचर ने काहा कि ओपिछले एक महीने से डिप्रेशन में है ।मेरी छोटी सी पर कितना गुजर है मैं कुछ भी नहीं कर पा रही हूं ।हम क्या करेंगे तो डिम्पी का कहना है कि काव्या को कभी तुम माही को घर ले आओ ।कैश उसे देखकर यहां रहने दे रहे हैं। काव्या बोला बनराज कभी उसे एक्सेप्ट नहीं करेगा ।वह अंश और ईशानी के दादा है ।वह मेरी बच्ची को कभी प्यार नहीं करेगा, तो उसके ऊपर क्या बीतेगी। डिंपलने कहा उसके रहने से पापा की थोड़ी बदला भी आएगी ।और तुम्हें यह रिक्स लेना पड़ेगा । हम ऐसे ससुराल जाना चाहते हैं और मैं ऐसे बदतमीज पति को चुनना चाहता हूं।
अनुपमा की दुकान पर जब वह काम देखने आई तो अनुपमा ने पूछा कि क्या देख रही हो । तो आदिया ने बताया कुछ नहीं ।तो अनुपमा ने उससे कहा कि मेरी बबली। आदिया कहा क्या है, मेरी बेटी का नाम क्या है ।और उसने भी यही पसंद किया होगा। मैं बबली नहीं हूं, यह बोलकर वहां से चला गया।
अंश बाहर पर खेल रहा था तब टीटू आया और उसका बाल टीटू के पास चला गया।टीटू अंश को बुलाया तो पूछा तुम्हारा नाम क्या है ।तो आंस ने बताया कि मेरा नाम अंश है । और टीटू ने इसानी को बुलाया पूछा तुम्हारा नाम क्या है तो उसने बोला मेरा नाम ईशानी है, ।तो उसने बहुत प्यारा नाम कहा। अंश ने बोलाथा आपका यह जैकेट बहुत अच्छा है ।तो टीटू ने बोला कि मैं क्या लाओ ।तो उसने कहा आप कौन हैं मेरे लिए लाएंगे। तो उसने कहा दोस्त से दोस्त है दोस्त अंकल। तो उसने कहा ठीक है तुम जादू देखोगी और उसने जादू दिखाया दोनों बच्चे बहुत खुश हैं ।उसके साथ खेलने लगे ।डिंपी डरकर घर पर बार-बार दिख रही थी।
बनराज बाहर गया और उसने डिंपी को बोला डिंबी तुम बच्चों को लेकर घर जाओ। मेरे मनाए मैं नहीं जाऊंगी मुझे यह अंकल मैजिक दिख रही है। तो वनराज ने गुस्से में आकर एसपी को लेकर बुलाया तो दोनों बच्चे डर के चले गए। फिर काव्या ने कहा कि टीटू नहीं आया था, यहां से गुजरात आ रही थी तो व्यवस्था। बंदा ने कहा मैं अभी जादू दिखाऊंगी, उसने कहा, कैसे हुई मेरी बहू के ऊपर नजर, टीटू ने बोला मुझे पता है डिंपी मुझे पसंद करती है, लेकिन वह तेरी वजह से कुछ नहीं बोलता, वह लोग भी इंसान है, कोई जानवर नहीं अब उसका स्वास् पर भी कब्ज़ा करके रखे गए हैं। तो टीटू ने बोला अच्छी बात है आप डिंपी को अपनी बेटी और अंश को अपना जीवन मानते हैं। अच्छी बात है लेकिन आप उन लोगों को दूसरा मौका क्यों नहीं देते हैं खुश रहना रहने की ।टीटू ने बोला आपने कभी सोचा है अब अब है तो अच्छी बात है ।अब जब नहीं रहेंगे तो उन लोगों का क्या होगा ।उन लोगों को कौन संभालेगा कौन उनको देखभाल करेगा। वह पिंजरे में रहने की तो आपकी बेटे की अंश की क्या होगी। मुझे पता है मैं एक पिता नहीं हूं। लेकिन कोई पिता इतना सेल्फिश नहीं होता है। एक बार आप सोच कर देखिए ।यह सुनकर वनराज थोड़ा सा घबरा जाता है।
अनुज ने अध्याय का इंतजार कर रहा था अध्याय आया तो बोला आप कहां जा रहे थे तो उसने बोला नहीं मैं कहीं नहीं जा रही थी कोई इंपॉर्टेंस जगह नही।
आगे डिंपी की जिंदगी में क्या होने वाला है जानने के लिए अनुभव में रिटर्न अपडेट को फॉलो करें, पढ़ने के लिए धन्यवाद।